गौड़ीय वैष्णव गीत

गौड़ीय वैष्णव गीत

@Vaishnavasongs
समर्पण
श्री श्रीमद् ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद
संस्थापकाचार्य : अन्तर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ

श्रीला प्रभुपाद ने एक बार कहा, "ये वैष्णव गीत एक वज्र की तरह हैं जो हमारे पर्वत जैसे हृदय को छिद्र कर सकते हैं। पर्वत को वज्र की शक्ति के बारे मे नहीं पता, लेकिन वह उसे छिद्र कर सकती है" ।

उन्होंने यह भी कहा, "सभी को वैष्णव गीत गाने चाहिए"। कोई कह सकता है कि हम बंगाली नहीं जानते हैं इसलिए हमें अर्थ समझ में नहीं आते हैं। इस तर्क के लिए श्रीला प्रभुपाद ने कहा, "फिर भी आपको इन वैष्णव गीत गाने चाहिए" ।

श्रीला प्रभुपाद ने कहा कि यदि कोई श्रीला भक्तिविनोद ठाकुर और श्रीला नरोत्तम दास ठाकुर के गीतों के तात्पर्य समझता है तो वह भगवान के प्रेम को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त हैं।

अक्रोध परमानंद नित्यानंद-राय

अधरं मधुरं वदनं मधुरं

अनादि करम-फले

आत्मनिवेदन, तुया पदे करि

आमार जीवन, सदा पापे रत

आमि जमुना पुलिने

आमि त दुर्जन अति सदा दुराचार!

आर केनो मायाजाले

आरे भाई ! भज मोर गौरांग चरण

आमार निताई मिले ना

ईश्वरः परमः कृष्ण- श्री ब्रह्म संहिता

उदिलो अरुण पूरब भागे

उज्ज्वल-वरण-गौरवर-देहं

एइबार करुणा कर

एखन बुझिनू प्रभू! तोमार चरण

एमन दुर्मति

ओरे मन, भाल नाहि लागे ए संसार

ओहे! वैष्णव ठाकुर दयार सागर

कदाचित् कालिन्दितट - श्रीजगन्नाथाष्टकम्

कबे गौर-वने

कबे श्रीचैतन्य मोरे करिबेन दया

कबे हबे बोलो से-दिन आमार

कबे हबे हेन दशा मोर

कृपा कर वैष्णव ठाकुर

कलि-कुकुर-कदन

कृष्णोत्कीर्तन-गान-नर्तन - श्रीषङ्गोस्वाम्यष्टकम्

कृष्ण जिनका नाम है

*कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा हे

कृष्ण देव भवन्तम् वन्दे

कृष्ण तब पुण्य हबे भाइ

कृष्ण हइते चतुर्मुख

कि जानि कि बाले

कुंकुमाक्त-काञ्चनाब्ज - श्रीराधिकाष्टकम्

केनो हरे कृष्ण नाम

केशव! तुया जगत विचित्र

गाय गोराचाँद जीबेर तोरे

गाय गोरा मधुर स्वरे

*गुरुदेव ! बड कृपा करि

गुरुदेव! कृपाबिन्दु दिया, करो एई दासे

*गुरुदेव, व्रजवने, व्रजभूमिवासी जने

गोपीनाथ, मम निवेदन शुनो

गोरा पहुँ ना भजिया मैनु

गौराङ्ग करुणा करो, दीन हीन जने

गौरांग बोलिते ह'बे

गौराङ्ग तुमि मोरे दया ना छाडिहो

गौरांगेर दूटी पद, जार धन सम्पद

चेतोदर्पण-मार्जनं - श्रीशिक्षाष्टकम्

जय जय गौराचाँदेर - गौर आरती

जय जय जगन्नाथ शचीर नंदन

जय जय राधाकृष्ण युगल-मिलन

जय राधे, जय कृष्ण, जय वृन्दावन

जय जय श्रीकृष्ण चैतन्य नित्यानन्द

जीव जागो जीव जागो

जे आनिल प्रेम-धन

ठाकुर वैष्णवगण ! करि एइ निवेदन

ठाकुर वैष्णव पद, अवनीर सम्पद

ढुले ढुले गौरा-चांद

तुमि सर्वेश्वरेश्वर, ब्रजेन्द्रकुमार

दयाल निताई चैतन्य

दुर्लभ मानव-जन्म

दुष्ट मन तुमि किसेर वैष्णव ?

धन मोर नित्यानंद

नदिया गोद्रुमे नित्यानन्द महाजन

नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपं - श्रीदामोदराष्टकम्

नमो नम: तुलसी - श्रीतुलसी कीर्तन

नव गौरवरं नवपुष्प-शरम् - श्रीशचीसुताष्टकम्

नारद मुनि, बजाय वीणा

निताई गुणमणि आमार निताई

निताइ-पद-कमल

*निज कर्म दोष फले

*नंद के आनंद भायो जय कन्हैया लाल की

नमस्ते नरसिंहाय - नरसिम्हा प्रणाम

परम करुणा, पहुँ दुइजन

प्रभु तव पद-युगे मोर निवेदन

प्रलयपयोधिजले - दशावतार स्तोत्र

पुरुषोत्तम योग - पंद्रहवां अध्याय श्रीमद् भगवद्गीता

*प्रपञ्च पड़िया, अगति हइया

बोड़ो कृपा कोइले कृष्ण

बोड़ो सुखेर खबर गाय

*बोल हरि बोल

भज भकत-वत्सल - भोग आरती

भज रे भज रे आमार मन

भजहुँ रे मन श्रीनन्दनन्दन

भाले गोरा गदाधरेर आरती

भुलिया तोमारे, संसारे आसिया

भक्तियोग - बारहवां अध्याय श्रीमद् भगवद्गीता

मधुरम् मधुरेभ्योऽपि

मम मन मंदिरे

मानस, देह, गेह, जो किछु मोर

मंगलाचरण

यदि गौर ना होइतो

यशोमति नंदन, ब्रज बर-नागर

राधा-कृष्ण प्राण मोर जुगल-किशोर

राधा-कृष्ण बोल बोल

राधे! जय जय माधव दयिते

वृंदावन रम्य-स्थान

व्रजे प्रसिद्धं नवनीतचौरं

विद्यार विलासे, काटाइनु काल

विभावरी-शेष

वन्दे कृष्ण नन्दकुमार

वृंदावनवासी यत वैष्णवेर गण

शुद्ध भकत-चरण-रेणु

शुनियाछि साधुमुखे बोले सर्वजन

श्रीकृष्णकीर्तने जदी मानस तोहार

श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु दया कर मोरे

श्रीकृष्ण-चैतन्य प्रभु जीवे दया करि

श्री गुरुचरण पद्म - श्रीगुरुवंदना

श्रीब्रह्म-संहिता - ईश्वरः परम: कृष्ण:

संसारदावानललीढलोक - श्रीगुर्वाष्टकम्

सर्वस्व तोमार, चरणे सम्पिया

सुन्दर-बाला शचीर-दुलाल

सुन्दर कुण्डल नैन विशाला

हरि हरि कबे मोर ह यबे हेन दिन

हरि बोलो-हरि बोलो-हरि बोलो भाइरे

हरि हरये नमः कृष्ण यादवाय नमः

हरि हरि! कबे मोर हइबे सुदिने

हरि हे दयाल मोर

हरि हरि! विफले जनम गोनैनु

*हे गोविन्द, हे गोपाल


*अनुवाद लंबित

गौड़ीय वैष्णव गीत लेखक सूचकांक देवनागिरी / हिंदी में ।

Report Page