नदिया गोद्रुमे नित्यानन्द
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नदिया गोद्रुमे
नदिया गोद्रुमे नित्यानन्द महाजन
पतियाछे नामहट्ट जीवेर कारण ।।
(श्रद्धावान जन हे, श्रद्धावान जन हे)
प्रभुर आज्ञाय भाइ मागि एइ मिक्षा
बोलो ‘कृष्ण', भजो ‘कृष्ण', कर कृष्ण शिक्षा ।।
अपराध-शून्य हये लह कृष्ण-नाम
कृष्ण माता, कृष्ण पिता, कृष्ण धन-प्राण।।
कृष्णेर संसार करि छाड़ि अनाचार
जीवे दया, कृष्ण-नाम सर्वधर्म सार ।।
१. नदिया के गोद्रुम क्षेत्र में नित्यानन्द महाजन ने पतित जीवों के उद्धार के लिए हरिनाम का बाजार खोला है।
२. श्रद्धावान लोगों! श्रद्धावान लोगों ! श्रीगौरांग महाप्रभु की आज्ञा से हे भाइयों, मैं आपसे तीन बातों की भिक्षा माँगता हूँ - श्रीकृष्ण के नामों का कीर्तन करों, श्रीकृष्ण की पूजा करो, और अन्यों को इसकी शिक्षा दो।
३. अपराधों से ध्यानपूर्वक बचो और केवल श्रीकृष्ण के नामों का कीर्तन करो । श्रीकृष्ण तुम्हारी माता हैं, श्रीकृष्ण तुम्हारे पिता है और श्रीकृष्ण ही तुम्हारे धन-प्राण हैं।
४. सभी अनाचार और पापों को त्यागकर श्रीकृष्ण सम्बन्धित कार्य करो । दूसरों पर करुणा दिखाना और हरिनाम कीर्तन करना सब प्रकार के धर्मों का सार है।