श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु दया कर मोरे
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श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु
श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु दया कर मोरे ।
तोमा बिना के दयालु जगत् संसारे ।।१।।
पतित पावन हेतु तव अवतार ।
मो सम पतित प्रभु ना पाइबे आर ।।२।।
हा हा प्रभु नित्यानंद प्रेमानंद सुखी ।
कृपावलोकन करो आमि बड दु:खी ।।३।।
दया करो सीतापति अद्वैत गोसाई ।
तव कृपाबले पाई चैतन्य निताई ।।४।।
हा हा स्वरूप सनातन रूप रघुनाथ ।।
भट्ट युग श्रीजीव हा प्रभु लोकनाथ ।।५।।
दया करो श्रीआचार्य प्रभु श्रीनिवास ।
रामचंद्र संग मांगे नरोत्तम दास ।। ६ ।।
१. हे श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु! कृपया मुझपर दया करो। आपके बिना इस संसार में अन्य कोई दयालु नहीं है।
२. हे प्रभु! पतित जीवों का पवित्र करने के लिए आपका अवतार हुआ है और आपको मेरे समान पतित और कहीं नहीं मिलेगा ।
३. हे श्रीनित्यानन्द प्रभु! आप तो प्रेम के दिव्य आनन्द में सदैव सुखी रहते हैं। कृपया मुझपर थोड़ी कृपा करें, क्योंकि मैं अत्यन्त दुःखी हूँ।
४. हे सीता ठकुरानी के पतिदेव श्रीअद्वैत गोसाईं! मेरे ऊपर दया कीजिए। आपकी कृपा के बल से ही श्रीचैतन्य महाप्रभु और श्रीनित्यानन्द प्रभु की प्राप्ति सम्भव है।
५. हे श्रील स्वरूपदामोदर गोस्वामी, हे श्रील सनातन गोस्वामी, श्रील रूप गोस्वामी, श्रील रघुनाथदास गोस्वामी, श्रील रघुनाथभट्ट गोस्वामी, श्रील गोपालभट्ट गोस्वामी, श्रील जीव गोस्वामी और श्रील लोकनाथ गोस्वामी प्रभु! ।
६. हे श्रील श्रीनिवास आचार्य प्रभु, दया करो! नरोत्तमदास श्रील रामचन्द्र कविराज का संग माँगता है।