केनो हरे कृष्ण नाम
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केनो हरे कृष्ण नाम
केनो हरे कृष्ण नाम हरि बोले
मनो प्राण काँदे ना ।।धृ।।।
पक्षि ना जानि कोन अपराधे
मुखे हरे कृष्ण नाम बोलो ना ।।१।।
बनेर पक्षि रे धरे राक्लाम हृदय मन्दिरे
मधु माखा एइ हरि नाम।
पक्षि रे शिखैले शिखे ।।२।।
पक्षि सकल नाम बोल्ते परो
केनो हरे कृष्ण नाम बोलो ना
केनो हरे कृष्ण नाम हरि बोले मनो प्राण काँदे ना ।।३।।
छलो पक्षि रूपेर देशे जाइ
जे देशेते मनेर मानुष आसा जाओया नाइ ।।४।।
पक्षि रे तोर मरण कालेते, चरबि वासेर दोलाते
ओरे चार जनेते कॉधे कोरे, लोये जाबे स्मशन घाटेते ।।५।।
ओरे तोर मुख आगुण जिह्वे तुले
कि कोरोबि ताइ बोलो ना ।।६।।
अनुवाद
।।१।। मेरे हृदय का पक्षी यह नही जानता, कितने पाप-अपराधों को इसने किया है जो इस परम पवित्र नाम जप करने की अयोग्यता का कारण है।
।।२।। हे वन के पक्षी-मैने अपने हृदय में तुम्हारे लिए कुछ रखा है बडी सावधानी के साथ, वह श्रीहरि का परम पवित्र नाम जो शुद्ध मधु का प्रवाह है। हे पक्षी तुम इस परम पवित्र नाम की शिक्षा करो अगर तुम्हे नाम सिखाया गया है तो।।
।।३।। एक पक्षी कोई भी नाम आसानी से ले सकता है, फिर क्यों मेरे हृदय का यह पक्षी हरे कृष्ण' नाम का जप नही कर रहा है। क्यों मेरा हृदय इस परम पवित्र कृष्णनाम को जप करने से रोता नहीं?
।।४।। हे पक्षी, चलो हम आध्यात्मिक दुनिया में जाते है जो सत्य एवं शाश्वत सौन्दर्य का स्थान है। यह वह स्थान है जहाँ मेरे मन के कल्पना पुरुष कभी नहीं आएंगे और जन्ममृत्यु के घुमते हुए चक्र में नहीं जाएंगे।
।।५।। हे पक्षी, मृत्यु के समय तुम्हारे शरीर को अत्यन्त साधारण रूप से श्मशान के बिस्तर पर लेटा दिया जाएगा, फिर चार लोगों के कंधों पर चढाकर श्मशान भूमि तक पहुँचा देगा।
।।६।। दुःख की बात है, श्मशान की अग्नि तुम्हारे मुँह के अन्दर प्रवेश करके तुम्हारे जिह्वा को पकड़ लेगी और उस समय तुम किसी भी तरीके से अपने को बचा नहीं सकोगे। क्यों कि उस समय तक बहुत देर हो चुकी होगी तुम आगे फिर कभी बोल नहीं पाओगे।