जीव जागो जीव जागो

जीव जागो जीव जागो

@Vaishnavasongs

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जीव जागो जीव जागो,

जीव जागो, गौराचांद बोले।

कोत निद्रा याओ माया-पिशाचीर कोले।।

भजिबो बोलिया एसे संसारभितोरे ।

भुलिया रोहिले सुमि अविद्यार भोरे।।।

तोमारे लोइते आमि होइनु अवतार ।

आमि विना बन्धु आर के आछे तोमार?

एनेछि औषधी माया नाशिबारो लागि ।

हरिनाम महामंत्र लओ तुमि मागि' ।।

भकतिविनोद प्रभु चरणे पोडिया ।

सेइ हरिनाम मंत्र लोइलो मागिया ।।

१. भगवान् श्रीगौरचन्द्र पुकार रहे हैं, “उठो, उठो! सोती आत्माओं उठ! लम्बे काल से तुम माया पिशाचिनी की गोद में सो रहे हो!

२. “इस जन्म-मृत्यु के संसार में आते समय तुमने कहा था “हे भगवन् ! निश्चित् । ही मैं आपका भजन करूंगा, किन्तु अब तुम अपने उस वचन को भूल गये और अविद्या के अंधकार में डूब गये।।

३. “केवल तुम्हारे उद्धार हेतु मैंने अवतार लिया है। मेरे अतिरिक्त आखिर तुम्हारा कौन मित्र है?

४. “मैं मायारूपी रोग को जड़ से उखाड़ने की औषधी लाया हूँ। अब प्रार्थना करते हुए यह हरे कृष्ण महामंत्र मुझसे ले लो ।'

५. भक्तिविनोद श्रीगौरांग महाप्रभु के चरणों पर गिर पड़ते हैं और हरिनाम की भिक्षा माँगने के पश्चात् उन्हें महामंत्र प्राप्त होता है।

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