जय जय राधाकृष्ण युगल-मिलन

जय जय राधाकृष्ण युगल-मिलन

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श्रीयुगल-आरती

जय जय राधाकृष्ण युगल-मिलन

आरति करये ललितादि सखीगण ।।१।।

मदन-मोहन रूप त्रिभङ्ग सुन्दर ।

पीताम्बर शिखिपुच्छ चूडा मनोहर ।।२।।

ललित माधव-वामे वृषभानु कन्या ।

नील-वसना गौरी रूपे गुणे धन्या ।।३।।

नानाविध अलंकार करे झलमल ।।

हरिमन-विमोहन वदन उज्ज्व ल ।।४।।

विशाखादि सखीजन नाना रागे गाय ।

प्रियनर्म सखीजत चामर दुलाय ।।५।।

श्रीराधा-माधव-पद सरसिज आशे ।

भकतिविनोद सखी, पदे सुखे भासे ।।६।।

अनुवाद

।।१।। श्रीराधाकृष्ण-युगलके मिलनकी जय हो ! ललिता, विशाखा आदि सखियाँ उनकी आरती कर रही है।

।।२।। मदनमोहन का त्रिभंगरूप अत्यन्त ही सुन्दर है, उन्होंने श्रीअंग में पीताम्बर तथा सिरपार मोरपंखों का चूडा (मुकुट) धारण किया हुआ है, जो सबके मनको हरण कर लेता है।

।।३।। उनके बायी ओर नीलेवस्त्र धारण किए हुए रूप एवं गुणों में अपूर्व वृषभानुनन्दिनी विराजमान हैं, जिन्होंने नाना प्रकार के अलंकार धारण किए हैं।

।।४।। झलमल-झलमल करते अलंकार तथा उनके श्रीअंग की उज्ज्वलता हरि (कृष्ण) के मनको भी मोहित कर रही है।

।।५।। विशाखा आदि सखियाँ नाना प्रकारके रागों (स्वरोंसे) में उन दोनों का गुणगान कर रही है तथा प्रियनर्मसखियाँ चामर डुला रही हैं।

।।६।। श्रीराधामाधवके चरणकमलोंकी प्राप्तिकी आशासे भक्तिविनोद सखियों के चरणकमलोंमें आश्रय ग्रहणकर आनन्द में निमग्न हैं।

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