तुमि सर्वेश्वरेश्वर, ब्रजेन्द्रकुमार

तुमि सर्वेश्वरेश्वर, ब्रजेन्द्रकुमार

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तुमि सर्वेश्वरेश्वर

तुमि सर्वेश्वरेश्वर, ब्रजेन्द्रकुमार।

तोमार इच्छाय विश्वे सृजन संहार।।१।।

तव इच्छामत ब्रह्मा करेन सृजन।

तव इच्छामत विष्णु करेन पालन।।२।।

तव इच्छामते शिव करेन संहार।

तव इच्छामते माया सृजे कारागार।।३।।

तव इच्छामते जीवेर जनम-मरण।

समृद्धि-नि:पात-दु:ख-सुख-संघटन।।४।।

मिछे मायाबद्ध-जीव आशापाशे फिरे।

तव इच्छा बिना किछु करिते ना पारे।।५।।

तुमि त’ रक्षक आर पालक आमार।

तोमार चरण बिना आशा नाहि आर।।६।।

निज बल चेष्टा-प्रति भरसा छाड़िया।

तोमार इच्छाय आछि निर्भर करिया।।७।।

भकतिविनोद अति दीन अकिञ्चन।

तोमार इच्छाय तार जीवन-मरण।।८।।

१. हे व्रजेन्द्रकुमार कृष्ण! आप सभी ईश्वरों के ईश्वर हैं। आपकी इच्छामात्र से ही ब्रह्माण्ड का सृजन एवं संहार होता है।

२. आपकी इच्छामात्र से ब्रह्माजी सृजन करते हैं और आपकी इच्छामात्र से ही भगवान् विष्णु पालन करते हैं।

३. आपकी इच्छामात्र से शिवजी संहार करते हैं और आपकी इच्छामात्र से ही माया संसार रूपी इस कारागार का निर्माण करती है।

४. आपकी इच्छा से ही जीवात्मा जन्म-मरण का अनुभव करते हैं और आपकी इच्छा से ही वे समृद्धि, विनाश, सुख अथवा दुःख से गुजरते हैं।

५. क्षुद्र जीव अकारण ही सांसारिक आशाओं में बँधकर संघर्ष करता है। आपकी इच्छा के बिना वह कुछ नहीं कर पाता ।।

६. आप मेरे एकमात्र पालनहार और संरक्षक हैं। आपके चरणकमलों के अतिरिक्त मेरे लिए अन्य कोई आशा नहीं है।

७. अपने निजि बल और प्रयासों पर भरोसा छोड़कर मैं अब पूर्णतः आपकी इच्छा पर निर्भर करता हूँ। ।

८. भक्तिविनोद अत्यन्त दीन है और उसका घमण्ड चूर-चूर हो गया है। उसका जन्म और मरण अब आपकी इच्छानुसार ही है।

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