कि जानि कि बाले

कि जानि कि बाले

@Vaishnavasongs

AUDIO

कि जानि कि बाले

कि जानि कि बाले, तोमार धामेते,

होइनु शरणागत।

तुमि दोयामय, पतित-पावन,

पतित-तारणे रत ।।१।।

भरसा आमार, एइ मात्र नाथ!,

तुमि तो करुणामोय ।

तव दोया-पात्र, नाहि मोर सम,

अवश्य घुचाबे भय ।।२।।

आमारे तारिते, काहार शकति,

अवनी-भितरे नाहि।

दयाल ठाकुर! घोषणा तोमार,

अधम पामरे त्राहि ।।३।।

सकल छाडिया, आसियाछि आमि,

तोमार चरणे नाथ!

आमि नित्य-दास, तुमि पालयिता,

तुमि गोप्ता, जगन्नाथ! ।।४।।

तोमार सकल, आमि मात्र दास,

आमारे तारिबे तुमि।

तोमार चरण, करिनु वरण,

आमार नही त आमि ।।५।।

भकतिविनोद, काँदिया शरण,

ल येछे तोमार पाय ।

क्षमि अपराध, नामे रुचि दिया,

पालन करहे ताय ।।६।।

अनुवाद

।।१।। मुझे ज्ञात नहीं कि मुझे आपके धाम आने एवं आपके चरणकमलों का आश्रय | स्वीकार करने की शक्ति किस प्रकार प्राप्त हुई? आप बद्ध पतितात्माओं पर अत्यधिक दयालु है तथा इसी कारणवश आप सदैव उनका उद्धार करने के लिए वचनबद्ध रहते हैं।

।।२।। हे नाथ! मेरी एकमात्र आशा आप ही हैं क्योंकि आप दया से भरे हुए हैं। मेरे समान आपकी दया का पात्र आपको अन्य कोई भी नहीं मिलेगा। अतएव, मुझे दृढ विश्वास है कि आप मेरे भौतिक जीवन के भय को अवश्य नष्ट करेंगे।

।।३।। इस संसार में मेरा उद्धार करने की शक्ति किसी के भी पास नहीं है। हे दयालु प्रभु! आपने घोषणा की हुई है कि इस संसार के पतित एवं पापी जीवात्माओं के एकमात्र आप ही उद्धारक हैं।

।।४।। हे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी! मैंने सब कुछ त्याग कर आपके चरणकमलों के शरण ग्रहण की है। मैं आपका नित्य दास एवं आप मेरे एकमात्र पालनकर्ता हैं।

।।५।। वास्तव में, सबकुछ आपका ही है तथा मैं तो केवल दास ही हूँ। मेरा उद्धार करना आपका कर्तव्य है। मैं अपनी स्वतन्त्रता त्याग कर आपके चरणकमलों का आश्रय ग्रहण करूंगा।

।।६।। भक्तिविनोद ठाकुर कहते हैं कि मैं विनम्रता से आपके चरणकमलों स्वीकार करता है। कृपया मेरे अपराधों को क्षमा करे एवं अपने पति रसास्वादन करने की स्वीकृति प्रदान करें। इस प्रकार से कृपया मेरा पालन करें।

Report Page