श्रीनृसिंह प्रणाम

श्रीनृसिंह प्रणाम

@Vaishnavasongs

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श्रीनृसिंह प्रणाम

नमस्ते नरसिंहाय, प्रह्लादह्लाददायिने ।

हिरण्यकशिपोर्वक्षः शिलाटंकनखालये ।।

इतो नृसिंहः परतो नृसिंहः,

यतो यतो यामि ततो नसिंह ।

बहिनृसिंह हृदये नृसिंह,

नृसिंहमादि शरणं प्रपद्ये ।

तव करकमलवरे नखम् अद्भुत श्रृङ्ग ।

दलित हिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम् ।

केशव धृत नरहरिरूप, जय जगदीश हरे ।।

अनुवाद

मैं नृसिंह भगवान् को प्रणाम करता हूँ, जो प्रह्लाद महाराज को आनंद प्रदान | करने वाले हैं तथा जिनके नख़ दैत्यराज हिरण्यकशिपु के पाषाण सदृश्य वक्षस्थल के ऊपर छेनी के समान हैं।

नृसिंह भगवान् यहाँ हैं और वहाँ भी हैं। मैं जहाँ कहीं भी जाता हूँ वहाँ नृसिंह भगवान् हैं। वे हृदय में हैं और बाहर भी हैं। मैं नृसिंह भगवान् की शरण लेता हूँ जो समस्त पदार्थों के स्रोत हैं तथा आश्रय हैं।

हे केशव ! हे जगत्पते ! हे हरि ! आपने नरसिंह का रूप धारण किया हैं,आपकी जय हो । जिस प्रकार कोई अपने नाखुनों से भ्रमर को आसानी से कुचल सकता है उसी प्रकार भ्रमर सदृश दैत्य हिरण्यकशिपु का शरीर आपके सुंदर करकमलों के नुकीले नाखूनों से चीर डाला गया है।

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