वृंदावन रम्य-स्थान

वृंदावन रम्य-स्थान

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वृंदावन रम्य-स्थान

वृंदावन रम्य-स्थान, दिव्य-चिंतामणि-धाम

रतन मंदिर मनोहर

आब्रत कालिंदी-नीरे, राजहंस केलि कोरे

ताहे शोभे कनक-कमल ।।१।।

तार मध्ये हेम-पीठ, अष्ट-दले बेष्टित,

अष्ट-दले प्रधाना नायिका

तार मध्ये रत्नासने, बोसिऽआछेन दुइ-जने,

श्याम-संगे सुंदरी राधिका ।।२।।

ओ-रूप-लावण्य राशि, अमिया पोडिछे खासीऽ

हास्य-परिहास-संभाषणे

नरोत्तम-दास कोय, नित्य लीला सुख-मोय

सदाइ स्फुरुक मोर मने ।।३।।

।।१।। वृन्दावन नामक रम्य-स्थान आध्यात्मिक जगत् का एक दिव्य धाम है। वह दिव्य चिंतामणि रत्नों से बना हुआ है। वहाँ कई मनोहर रत्नों से बने हुए मंदिर हैं तथा वहाँ राजहंस यमुना के जल में क्रीडा करते हैं। यमुना के जल में शत पंखुडियों वाला एक सुवर्णकमल शोभायमान है।

।।२।। उस कमल के मध्य में आठ पंखुडियों से घेरा हुआ एक स्वर्ण-पीठ है। उन अष्ट पखुडियों पर ललिता एवं विशाखा के नेतृत्व में आठ प्रधान नायिकांये स्थित हैं। उसके बीच में स्वर्ण-पीठ पर युगलजोड़ी विराजमान है। श्यामसुन्दर के साथ राधिका सुंदरी बैठी हैं ।

।।३।। श्री श्री राधा-कृष्ण के हास्य-परिहास-सम्भाषण के समय उनके रूप लावण्य की राशि अमृत बरसा रही है। श्रील नरोत्तम दास ठाकुर कहते हैं, ये सुखमय नित्यलीलायें मेरे मन में सदा स्फुरित होती रहें।

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