हरि हे दयाल मोर

हरि हे दयाल मोर

@Vaishnavasongs

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हरि हे दयाल मोर

हरि हे दयाल मोर जय राधानाथ ।

बारो बारो एइ-बारो लह निज-साथ ।।१।।

बहु योनी भ्रमि' नाथ! लोइनु शरण ।

निज-गुणे कृपा कर' अधम-तारण ।।२।।

जगत-कारण तुमि जगत-जीवन ।।

तोमा छाड़ा नाहि हे राधा-रमण ।।३।।

भुवन-मंगल तुमि भुवनेर पति ।

तुमि उपेक्षिले नाथ, कि होइबे गति ।।४।।

भाविया देखिनु एइ जगत-माझारे ।

तोमा बिना केह नाहि ए दासे उद्धारे ।।५।।

१. हे हरि! हे दयामय स्वामी! हे श्रीराधा के नाथ, आपकी जय हो! बार-बार मैंने आपसे निवेदन किया है, और अब फिर से याचना करता हूँ कि कृपया मुझे अपना स्वीकार लीजिए।

२. हे भगवन्! अनेकानेक योनियों में भ्रमण करने के पश्चात् अब मैं आपकी शरण में आया हूँ। कृपया अपने स्वाभाविक गुण दर्शाते हुए मुझपर कृपा कीजिए और इस अधम का उद्धार कीजिए।

३. आप सम्पूर्ण सृष्टि के कारणस्वरूप हैं और उसके जीवन हैं। श्रीराधा को आनन्द प्रदान करने वाले हे भगवन्! आपके अतिरिक्त मेरा अन्य कोई आश्रय नहीं है।

४. आप सम्पूर्ण त्रिभुवन को मंगलमय बनाते हैं और उसके स्वामी भी हैं। हे भगवन्! यदि आप मेरी उपेक्षा कर देंगे तो मेरी गति क्या होगी?

५. इस संसार में अपनी दुर्दशा को देखकर मैं समझ गया हूँ कि इस दास के उद्धार के लिए आपके अतिरिक्त अन्य कोई नहीं है।

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