कलि-कुकुर-कदन

कलि-कुकुर-कदन

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कलि-कुकुर-कदन

कलि-कुकुर-कदन जदि चाओ (हे)

कलि-युग-पावन, कलि-भय-नाशन,

श्रीशचीनन्दन गाओ (हे)।।१।।

गदाधर-मादन, निता'येर प्राण-धन,

अद्वैतेर प्रपुजित गोरा ।

निमाई विश्वम्भर, श्रीनिवास-ईश्वर,

भक्त-समूह-चित्-चोर।।२।।

नादीया-शशधर, मायापूर-ईश्वर,

नाम-प्रवर्तन सुर

गृहि-जन-शिक्षक, न्यासि-कुल-नायक,

माधव राधा-भाव-पूर।।३।।।

सार्वभौम-शोधन, गजपति-तारण,

रामानन्द-पोषण वीर

रूपानन्द-वर्धन, सनातन-पालन,

हरिदास-मोदन धीर।।४।।

व्रज-रस भावन, दुष्ट-मत-शातन,

कपटी विघातन काम

शुद्ध-भक्त पालन, शुष्क-ज्ञान ताडन,

छल-भक्ति-दूषण राम।।५।।

१. अरे भाइयों! यदि आप इस कलिरूपी कुकुर (कुत्ते) से बचना चाहते हो तो कलियुग को पवित्र करने वाले और कलियुग के भय को नष्ट करने वाले श्रीशचीनन्दन के नामों का कीर्तन करो।

२. वे गौरहरि श्रीगदाधर पण्डित और श्रीनित्यानन्द प्रभु के प्राण एवं धन स्वरूप हैं तथा अद्वैताचार्य द्वारा पूजित हैं। उनके निमाई एवं विश्वभर जैसे अनेक नाम हैं। वे श्रीनिवास आचार्य के पूजनीय ईश्वर हैं तथा समस्त भक्तवृन्द के चित्त को चुराने वाले हैं।

३. वे नदिया के चन्द्रस्वरूप हैं तथा श्रीमायापुर धाम के ईश्वर हैं। वे हरिनाम प्रदान करने के लिए अवतरित हुए हैं। वे गृहस्थ आश्रम में रहने वाले भक्तों को शिक्षा देने आये हैं; वे समस्त संन्यासियों के शिरोमणि हैं तथा राधारानी के भाव एवं कान्ति से युक्त श्रीमाधव ही हैं।

४. उन्होंने सार्वभौम भट्टाचार्य का मायावाद से उद्धार करके उनके हृदय को शुद्ध किया और महाराज प्रदापरुद्र का भी उद्धार किया। उन्होंने रामानन्द राय को अपनी भक्ति प्रदानकर उनका पालन किया । वे श्रील रूप गोस्वामी के आनन्द को बढ़ाने वाले तथा श्रील सनातन गोस्वामी का पालन करने वाले हैं। वे हरिदास ठाकुर के लिए आनन्द के स्रोत हैं, तथा वे अत्यन्त धीर हैं।

५. श्रीगौरहरि वृन्दावन के भावों पर ध्यान करते रहते हैं, वे दुष्ट मानसिकता का नाश करने वाले हैं, और वे अपनी कृपा से कपट एवं काम को खण्डित कर देते हैं। वे अपने शुद्ध भक्तों का पालन करते हैं और शुष्क ज्ञानियों को प्रताड़ित करते हैं। वे छलयुक्त भक्ति को नष्ट करते हैं तथा परम आनन्दमय हैं।

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