सुन्दर-बाला शचीर-दुलाल

सुन्दर-बाला शचीर-दुलाल

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सुन्दर-बाला शचीर-दुलाल

सुन्दर-बाला शचीर-दुलाल

नाचत श्रीहरिकीर्तन में।

भाले चन्दन तिलक मनोहर

अलका शोभे कपोलन में ।।१।।

शिरे चुड़ा दरशि बाले

वन-फुल-माला हियापर डोले।

पहिरन पीत-पीतांबर शोभे

नूपुर रुणु-झुणु चरणों में ।।२।।

राधा-कृष्ण एक तनु है।

निधुवन-माझे वंशी बाजाये।

विश्वरूप कि प्रभुजी सहि

आओत प्रकटहि नदीया में ।।३।।

कोई गायत है राधा-कृष्ण नाम

कोई गायत है हरि-गुण गान ।

मंगल-तान मृदंग रसाल

बाजत है कोई रंगण में ।।४।।

१. श्रीहरि के नाम-कीर्तन पर नृत्य करता यह सुन्दर बालक शचीमाता का दुलारा पुत्र है। उसके कपाल पर चन्दन का मनोहारी तिलक लगा है और उसके धुंघराले बालों की लटें उसके गालों पर लटकती हुई अत्यन्त शोभायमान हैं।

२. उसके सिर पर बालों का जूड़ा बना है और उसके हृदयस्थल पर वनफूलों की माला इधर-उधर डोल रही है। उसने पीले रंग के जगमगाते वस्त्र पहने हुए हैं और नाचते समय उसके पैरों में बँधे नुपूर रुणझुण की ध्वनि करते हैं।

३. श्री श्रीराधा और कृष्ण एक ही शरीर में मिल गये हैं और दोनों मिलकर निधुवन में बाँसुरी बजाते हैं। विश्वरूप के नाथ (श्रीगौरांग महाप्रभु) ने स्वयं को नदिया में इस भाव में प्रकट किया है।

४. उस कीर्तन में कोई भक्त राधा-कृष्ण के नामों का कीर्तन कर रहा है, कोई भगवान् हरि के गुणों की महिमाये गा रहा है, जबकि कुछ अन्य मृदंग की मधुर मंगलतान बजा रहे हैं। पूरा दृश्य ऐसा है मानो रंग बरस रहा हो।

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