मम मन मंदिरे
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मम मन मंदिरे
मम मन मंदिरे रहो निसिदिन
कृष्ण मुरारी श्री कृष्ण मुरारी ।।१।।
भक्ति प्रिती माला चंदन
तुमी निओ हे निओ चितो नंदन ।।२।।
जीवन मरण तोर पुजा निवेदन
सुंदर हे मन हारी ।।३।।
एसो नंद कुमार आर नंद कुमार
होबे प्रेम प्रदिपे आरोतिक तोमार ।।४।।
नयने यमुना जरे अनिबर
तोमार विरहे गिरिधारी ।।५।।
बंदन गने तोब बजुक जीवन
कृष्ण मुरारी श्री कृष्ण मुरारी ।।६।।
।।१।। (दोहराने के छंद- मेरे मन के मन्दिर में हमेशा के लिए दिन और रात अवस्थान कीजिए हे कृष्ण मुरारी, हे कृष्ण मुरारी।)
।।२।। भक्ति, प्रीति, फूलों का हार, चन्दन कृपापूर्वक ग्रहण कीजिए हे मेरे हृदय के परमप्रिय नन्दन।।
।।३।। । जीवन में हो या मृत्यु में, मैं आपको इन वस्तुओं का निवेदन करुंगा हे सुन्दर, हे मनोहरणकारी।
।।४।। हे नन्दनन्दन, पधारिए एवं हे नन्द के नन्दन मैं आपको आपकी आरती के लिए मेरे प्रेम की ज्योति के दीया को जलाकर निवेदन करुंगा।।
।।५।। आपके विरह मे मेरी आँखों में यमुना नदी ने निवास किया है, हे गोवर्धनपर्वत के धारणकारी।
।।६।। काश ! मै आपके प्रशंसा में स्तुति गायन करके अपनी जिंदगी को बीता पाऊ। हे कृष्ण मुरारी श्रीकृष्ण मुरारी।।