आमार निताई मिले ना

आमार निताई मिले ना

@Vaishnavasongs

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आमार निताई मिले ना

आमार निताई मिले ना भोलामन

गौर मिले ना

सारा गाये माखिले तिलक

गौर मिले ना

भितर बहिर् ठिक ना ह'ले

गौर प्रेम कि कथाए मिले

(ओ तोर) ठिक ना ह'ले उपासना

तिल देइ ना तोर से सोना

सार गाये....

मन परिस्कर कर आगे

गौर भजन अनुरागे

अनुरागे तिलक केते

गौर भजन हल ना (हाय भोलामन)

जे जोन मुक्तगोष्टी आदर करे

आमार दयाल निताई ताहाँर घरे

(ओ तोर) तरे भक्ति भारे दकले परे

उत्तर सदा सफल ह'बे

अरे मेरे मुर्ख भोलेमन तुम कभी भी भगवान नित्यानंद एवं भगवान गौरांग को प्राप्त नहीं करोगे। तुमने सम्पूर्ण शरीर पर तिलक लगा लिया है पर सिर्फ इससे तुम भगवान गौरांग को प्राप्त नहीं कर सकते।

अगर तुम आन्तरिक एवं बाह्यक रूप में सही तरीके से नहीं स्थित होते हो तो तुम कैसे भगवान गौरांग के प्रेम को प्राप्त करोगे?

सबसे पहले अपने दूषित मन को सुद्ध करो तभी परमपवित्र नाम में तुम्हारे मन में स्नेह जागृत होगा। स्नेह के साथ मैने तिलक लगाया है-पर गौर भजन नहीं कर पाया-अरे मेरे खोये हुए मन।।

मेरे करूणामय नित्यानन्द उस मनुष्य के हृदय में रहना पसंद करते है जो इस दिव्य प्रेम से प्रेम करता है। जब तुम सम्पूर्ण भक्ति में दिव्य भाव से उनका भक्ति के पथ पर सफल रहोगे, कभी भी असफल नहीं होगे।

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