भज रे भज रे आमार मन

भज रे भज रे आमार मन

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भज रे भज रे आमार मन अति मन्द

भज रे भज रे आमार मन अति मन्द ।

(भजन बिना गति नाइ रे)

(भज) व्रजवने राधा-कृष्ण चरणारविन्द

(ज्ञान कर्म परिहरि रे)

(भज) (व्रजवने राधा-कृष्ण)

(भज) गौर गदाधराद्वैत गुरु-नित्यानन्द

(गौर कृष्णे अभेद जेने रे)

(गुरु कृष्ण प्रेष्ठा जेने रे)।

(स्मर) श्रीनिवास, हरिदास, मुरारि, मुकुन्द

(गौर प्रेमे स्मर, स्मर रे)

(स्मर) (श्रीनिवास, हरिदास)

(स्मर) रूप सनातन जीव रघुनाथ द्वन्द्व।

(कृष्ण भजन यदि करबे रे)

(रूप-सानातन स्मरा)

(स्मर) राघव गोपाल भट्ट स्वरूप रामानन्द

(कृष्ण प्रेम यदि चाओ रे)

(स्वरूपा-रामानन्द स्मरा)

(स्मर) गोष्ठिसह कर्णपूर, सेन शिवानन्द ।

(अजस्र स्मर-स्मर रे)

(गोष्ठिसह कर्णपूर)

(स्मर) रूपानुग साधुजन भजन-आनन्द

(व्रजे वास यदि चाओ रे)

(रूपानुग साधु स्मर)

।।१।। मेरे प्रिय मन, कितने मुर्ख हो तुम। सिर्फ भजन करो, सिर्फ भजन करो। श्री श्री राधा-कृष्ण के चरणकमलों को व्रज के वनों में (क्यों कि उनके चरण कमलों के भजन पूजन के बिना आध्यात्मिक उन्नति का कोई अन्य उपाय नही है) सिर्फ, व्रज के वनों में श्री श्री राधा-कृष्ण के चरणकमलों का भजन, पूजन करो।

।।२।। (गौर प्रेमे स्मर,स्मर रे) सिर्फ श्री श्री गौर का पूजन करो, श्रील गदाधर, श्रील अद्वैत एवं श्री श्री नित्यानन्द प्रभु और आध्यात्मिक गुरु की आराधना करो। यह ज्ञान रखते हुए की श्री श्री गौर एवं श्री श्री कृष्ण अभिन्न है। (यह भी ध्यान में रखना होगा की आध्यात्मिक गुरु, श्रीकृष्ण के बहुत प्रिय है।) सिर्फ यह याद रखना होगा की श्री श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रिय पार्षदों जैसे श्रील श्रीवास ठाकुर, श्रील हरिदास ठाकुर, श्रील मुरारी गुप्त, श्रील मुकुन्द दत्त ! (श्री श्री गौर के लिए गंभीर प्रेम को ध्यान में रखते हुए यह याद रखना, सिर्फ यह याद रखना) (सिर्फ याद रखिए दो विशेष व्यक्तित्व को श्रील श्रीवास ठाकुर एवं श्रील हरिदास ठाकुर)

।।३।। श्रील रूप गोस्वामीको याद रखना होगा एवं श्रील सनातन गोस्वामी, श्रील जीव गोस्वामी, एवं दो रघुनाथ को भी याद रखना होगा (अगर तुम भगवान कृष्ण के भजन मे व्यस्त रहना चाहते हो) (सिर्फ याद रखना होगा दो महान आत्माओं को श्रील रूप गोस्वामी एवं श्रील सनातन गोस्वामी) याद करो श्रील राघव पण्डित को, श्रील गोपाल भट्ट गोस्वामी को, स्वरूप दामोदर गोस्वामी को, एवं श्रील रामानन्द राया को (अगर तुम यथार्थ रुप से कृष्णप्रेम की खोज कर रहे हो) श्रील स्वरूप दामोदर को याद करो एवं श्रील रामानन्द राया को याद करो।

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