सरकार ने व्यापक उपायों से भारतीय खिलौना उद्योग को दिया बढ़ावा

सरकार ने व्यापक उपायों से भारतीय खिलौना उद्योग को दिया बढ़ावा

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सरकार की पहलों में भारत में बने खिलौनों को बढ़ावा देना, उन्हें भारतीय मूल्यों, संस्कृति और इतिहास के आधार पर डिजाइन करना, खिलौनों को शैक्षिक उपकरण के रूप में उपयोग करना, खिलौना डिजाइन के लिए हैकथॉन का आयोजन करना और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना शामिल है।

केंद्र सरकार खिलौना उद्योग के लिए अनुकूल विनिर्माण माहौल बनाने के लिए व्यापक समर्थन दे रही है। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उपाय लागू किए गए हैं, जिससे एक उल्लेखनीय परिवर्तन आया है।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि सरकार की पहलों में भारत में बने खिलौनों को बढ़ावा देना, उन्हें भारतीय मूल्यों, संस्कृति और इतिहास के आधार पर डिजाइन करना, खिलौनों को शैक्षिक उपकरण के रूप में उपयोग करना, खिलौना डिजाइन के लिए हैकथॉन का आयोजन करना और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना शामिल है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2022-23 तक कुल खिलौना आयात में 52% की भारी कमी और खिलौना निर्यात में 239% की प्रभावशाली वृद्धि हुई है।

"मेड इन इंडिया" खिलौनों के निर्यात को और बढ़ाने के लिए सरकार ने रणनीतिक कदम उठाए हैं:

गुणवत्ता आश्वासन: विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने प्रत्येक खेप के लिए नमूना परीक्षण अनिवार्य कर दिया है, जब तक कि गुणवत्ता परीक्षण सफल न हो जाए, बिक्री की अनुमति नहीं होगी। विफलता की स्थिति में, खेप या तो वापस कर दी जाती है या आयातक की कीमत पर नष्ट कर दी जाती है।

सीमा शुल्क में वृद्धि: खिलौनों (एचएस कोड-9503) पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) फरवरी 2020 में 20% से बढ़ाकर 60% कर दिया गया, मार्च 2023 में इसे बढ़ाकर 70% कर दिया गया, जिससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिला।

गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ): सरकार ने खिलौने (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश, 2020 जारी किया, जिससे घरेलू और विदेशी दोनों निर्माताओं के लिए 1 जनवरी, 2021 से भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणन अनिवार्य हो गया।

छूट और विशेष प्रावधान: खिलौनों पर क्यूसीओ में संशोधन से पंजीकृत कारीगरों और भौगोलिक संकेत स्थिति वाले लोगों द्वारा निर्मित और बेची जाने वाली वस्तुओं को छूट दी गई है।

बीआईएस लाइसेंसिंग: बीआईएस ने परीक्षण सुविधा के बिना खिलौने बनाने वाली सूक्ष्म-स्तरीय इकाइयों को लाइसेंस प्रदान किया, जिसे हाल ही में 3 साल की अवधि तक बढ़ाया गया है।

राष्ट्रीय कार्य योजना: 2020 में, सरकार ने खिलौनों के लिए एक व्यापक 'राष्ट्रीय कार्य योजना' विकसित की, जिसमें 14 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों का सहयोग शामिल था। इसमें चार विषयों पर 21 कार्य बिंदु शामिल हैं - व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना, भारत में खिलौनों का डिजाइन और निर्माण, स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देना और खिलौनों को सीखने के संसाधनों के रूप में पहचानना।

मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए): भारत-यूएई व्यापक साझेदारी समझौते (सीईपीए) और भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) सहित हालिया एफटीए, भारतीय खिलौना निर्यात के लिए शून्य-शुल्क बाजार पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है।

इन ठोस प्रयासों का उद्देश्य भारत को खिलौनों के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना, स्थानीय विनिर्माण का समर्थन करना और इस क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

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