कोरोना वायरस के चलते एनपीआर और जनगणना का पहला चरण टला

कोरोना वायरस के चलते एनपीआर और जनगणना का पहला चरण टला

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केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए 25 मार्च 2020 को बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न महामारी की स्थिति को देखते हुए जनगणना 2021 के पहले चरण और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के कार्य को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है.


गृह मंत्रालय की ओर से 25 मार्च 2020 को इस बात की पुष्टि की गई है. एनपीआर को लेकर कई महीनों से देश में विरोध प्रदर्शन चर रहा था, हालांकि कोरोना वायरस (कोविड-19) के खतरे को देखते हुए लॉकडाउन के बाद प्रदर्शनकारियों को हटा दिया गया.


नागरिक को घबराने की आवश्यकता नहीं


प्रदर्शनकारियों का मामना था कि यह उनकी नागरिकता अधिकार का हनन है और इससे वे देश में रहते हुए भी विदेशी घोषित कर दिए जाएंगे. सरकार ने कई अवसरों पर यह बताया कि इससे किसी नागरिक को घबराने की आवश्यकता नहीं है यह केवल जनगणना की एक प्रक्रिया है. सरकार ने कहा कि एनपीआर ऑनलाइन माध्यम होगा जिससे देश में होने वाली साल 2021 की जनगणना में नागरिक अपना नाम दर्ज करा सकते हैं.


पृष्ठभूमि


एनपीआर की प्रक्रिया 01 अप्रैल 2020 से शुरू होने वाली थी. एनपीआर, हाउस लिस्टिंग और जनगणना 2021 का काम एक अप्रैल से 30 सितंबर के बीच होना था. गृह मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी ने मार्च 2020 में डिमांड फॉर ग्रांट्स (2020-2021) की रिपोर्ट राज्यसभा में रखी थी. इस कमेटी की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा कर रहे थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि एनपीआर फॉर्म 2020 में माता-पिता के जन्मस्थान और उनकी जन्मतिथि को लेकर सवाल पूछे गए हैं, जिस पर सरकार का तर्क था कि इससे बैक एंड डेटा प्रोसेसिंग और मजबूत होगा. गौरतलब है कि कई राज्यों ने एनपीआर को लेकर आपत्ति जाहिर की गई.


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