सुन्दर कुण्डल

सुन्दर कुण्डल

@Vaishnavasongs

AUDIO

सुन्दर कुण्डल

सुन्दर कुण्डल नैन विशाला, गले सोहे वैजयन्तीमाला।

या छवि की बलिहारी ।। राधेश्याम ...

जय माधव मदनमुरारी राधेश्याम श्यामाश्याम ।

जय केशव कलिमलहारी राधेश्याम श्यामाश्याम ।।

कबहूँ लूट-लूट दधि खायो, कबहूँ मधुबन रास रचायो।

नाचत विपिनविहारी ।। राधेश्याम ...

ग्वालबाल संग धेनु चराई, वन वन भ्रमत फिरे यदुराई ।

काँधे कामर कारी ।। राधेश्याम ...

चुरा चुरा नवनीत जो खायो, व्रज-वनितन पै नाम धरायो ।

माखनचोर मुरारि ।। राधेश्याम ....

एकदिन मान इन्द्र को मारयो, नख ऊपर गोवर्धन धारयो ।

नाम पड्यो गिरिधारी ।। राधेश्याम ...

दुर्योधन का भोग न भायो, रूखो साग विदुर घर खायो ।

ऐसे प्रेम-पुजारी ।। राधेश्याम ...

करुणा कर द्रौपदी पुकारी, पट में लिपट गये वनवारी ।।

निरख रहे नर नारी ।। राधेश्याम

भक्त-भक्त सब तुमने तारे, बिना भक्ति हम ठाड़े द्वारे ।

लीजो खबर हमारी ।। राधेश्याम ...

अर्जुन के रथ हाँकन हारे, गीता के उपदेश तुम्हारे ।

चक्र-सुदर्शनधारी ।। राधेश्याम ...

श्रीलक्ष्मीपति की जय हो! मुर राक्षस के शत्रु भगवान् मदनमुरारि की जय हो! श्री श्रीराधा-श्याम की जय हो, जो श्यामा-श्याम के नाम से भी जाने जाते हैं। कोमल केश वाले भगवान् केशव की जय हो । वे कलियुग के कष्टों को हरण करने वाले हैं - राधेश्याम, श्यामा-श्याम! (टेक)

१. हे कृष्ण, आप सुन्दर कुण्डल धारण करते हैं और आपके मधुर नयन अत्यन्त विशाल हैं। आपके कण्ठ में वैजयन्ती माला सुशोभित है। आपकी यह छवि अत्यन्त मनोहर है - राधेश्याम, श्यामा-श्याम!

२. कई बार आप गुपचुप माखन चुराकर खाते हैं और कई बार आप मधुबन में गोपियों के साथ रासलीला रचाते हैं। आप वृन्दावन के वनों में विहार करते हैं - राधेश्याम, श्यामा-श्याम!

३. अपने ग्वालमित्रों के संग आप गायें चराते हैं। आप यदुवंश-शिरोमणि हैं और अपने कंधे पर काला कम्बल लिए विभिन्न वनों में भ्रमण करते हैं - राधेश्याम, श्यामाश्याम!

४. हे मुरारि! चूंकि आपने बार-बार व्रजगोपियों के घरों से ताजा माखन चुराया है, उन्होंने आपका नाम रखा है 'माखनचोर' - राधेश्याम, श्यामा-श्याम !

५. एक दिन आपने गोवर्धन पर्वत को अपने नाखून पर उठाकर इन्द्र का गर्व चूरचूर किया और इसलिए आपका नाम पड़ा गिरिधारी - राधेश्याम, श्यामा-श्याम! ।

६. आपने दुष्ट दुर्योधन द्वारा अर्पित छप्पन भोग त्याग दिये और अपने भक्त विदुर द्वारा अर्पित रुखा साग खाया । इसलिए केवल प्रेम द्वारा ही आपकी पूजा की जा सकती है, बाह्य आडम्बरों से नहीं - राधेश्याम, श्यामा-श्याम!

७. जब द्रौपदी ने कातर भाव में आपको पुकारा तो वनों में भ्रमण करने वाले हे श्रीकृष्ण! आपने वस्त्र प्रदान करके उसकी लाज बजाई। सभी लोग इस अद्भुत दृश्य को देखते रह गये - राधेश्याम, श्यामा-श्याम!

८. आप अपने प्रत्येक भक्त की विशेष प्रकार से रक्षा करते हैं। किन्तु दुर्भाग्य से हम भक्तिहीन आपके द्वार पर खड़े हैं। कृपया हमारी ओर भी थोड़ा ध्यान दीजिए - राधेश्याम, श्यामा-श्याम!

९. आप अर्जुन के सारथी बने और युद्धभूमि में उन्हें भगवद्गीता के उपदेश सुनाये। युद्धभूमि में आपने सुदर्शनधारी का अपना रूप प्रकट किया - राधेश्याम, श्यामा-श्याम!

Report Page