प्रपञ्च पड़िया अगति
@VaishnavasongsAUDIO
प्रपञ्च पड़िया
हरि हे!
प्रपञ्च पड़िया, अगति हइया,
ना देखि उपाय आर।
अगतिर गति, चरणे शरण,
तोमाय करिनु सार ॥१॥
करम गेयान, किछु नाहि मोर,
साधन भजन नाई।
तुमि कृपामय, आमित' कांगाल,
अहेतुकी कृपा चाइ ॥२॥
वाक्य-मनो-वेग, क्रोध-जिह्वा-वेग,
उदर-उपस्थ-वेग।
मिलिया एसब, संसारे भासाये,
दितेछे परमोद्वेग ॥३॥
अनेक यतने, से सब दमने,
छाड़ियाछि आशा आमि।
अनाथेर नाथ! डाकि तव नाम,
एखन भरसा तुमि ॥४॥