गुरुदेव, व्रजवने

गुरुदेव, व्रजवने


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गुरुदेव, व्रजवने, व्रजभूमिवासी जने

गुरुदेव,

व्रजवने, व्रजभूमिवासी जने,

शुद्ध भक्ते, आर विप्रगणे

इष्ट मंत्रे, हरिनामे, युगल भजन कामे

कर रति अपूर्व यतने ।।१।।

धरि मन चरणे तोमार ।

जानियाछि एवे सार, कृष्णभक्ति बिना आर,

नाहि घुचे जीवेर संसार ।।२।।

कर्म, ज्ञान, तपः, योग, सकलइ त कर्मभोग,

कर्म छाडाइते के नारे ।

सकल छाडिया भाइ, श्रद्धादेवीर गुण गाइ,

याँर कृपा भक्ति दिते पारे ।।३।।

छाडि दम्भ अनुक्षण, स्मर अष्टतत्त्व मन,

कर ताहे निष्कपट रति ।

सेइ रति प्रार्थनाय, श्रीदास गोस्वामी पाय,

ए भक्तिविनोद करे नति ।।४।।

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