एइबार करुणा कर

एइबार करुणा कर

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एइबार करुणा

एइबार करुणा कर वैष्णव गोसाईं।

पतितपावन तोमा बिने केह नाइ ।।१।।

जाँहार निकटे गेले पाप दूरे जाय ।

एमन दयाल प्रभु केबा कोथा पाय? ।।२।।

गंगार परश हैले पश्चाते पावन ।

दर्शने पवित्र कर एइ तोमार गुण ।।३।।

हरिस्थाने अपराधे तारे' हरिनाम ।

तोमा स्थाने अपराधे नाहि परित्राण ।।४।।

तोमार हृदये सदा गोविन्द-विश्राम ।।

गोविन्द कहेन-मोर वैष्णव पराण ।।५।।

प्रति जन्मे करि आशा चरणेर धूलि ।

नरोत्तमे कर दया आपनार बलि ।।६।।

१. हे वैष्णव ठाकुर! कृपया इस बार मुझपर कृपा कीजिए। आपके अतिरिक्त पतितों का उद्धार करने वाला अन्य कोई नहीं है।

२. हम ऐसे दयालु प्रभु को अन्यत्र कहाँ पायेंगे, जिनके मात्र निकट जाने से समस्त पाप दूर हो जाते हैं?

३. गंगा में तो स्नान करने के पश्चात् व्यक्ति पवित्र होता है, किन्तु आपके दर्शनमात्र से व्यक्ति पवित्र हो जाता है। आपके गुण इतने महान् हैं।

४. यदि कोई भगवान् हरि के प्रति अपराध करता है तो हरिनाम उसे शुद्ध कर सकता है, किन्तु आपके प्रति अपराध करने वाले के लिए कोई मुक्ति नहीं है।

५. आपके हृदय में सदैव श्रीगोविन्द विश्राम करते हैं और भगवान् गोविन्द कहते हैं, वैष्णवगण मेरे प्राण है।

६. मेरी एकमात्र आशा है कि मैं जो भी जन्म लँ मुझे आपके चरणकमलों की धूलि प्राप्त हो । कृपया नरोत्तम को अपना समझिये और उसपर कृपा कीजिए।

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