35 से ज्यादा एग्जाम में फेल हो चुके हैं विजय वर्धन, फिर ऐसे UPSC में हासिल की 104 रैंक

35 से ज्यादा एग्जाम में फेल हो चुके हैं विजय वर्धन, फिर ऐसे UPSC में हासिल की 104 रैंक

𝐈𝐀𝐒 𝐓𝐨𝐩𝐩𝐞𝐫𝐬


असफलताओं को मील का पत्थर बनाने वाले ही सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं। 2019 में 104 रैंक हासिल करने वाले विजय वर्धन की कहानी भी ऐसी है। सिविल सेवा की परीक्षा से पहले विजय 35 से ज्यादा एग्जाम में फेल हो चुके थे।

IAS Success Story: साल 2018 में यूपीएससी की सिविल सर्विस की परीक्षा में 104 रैंक हासिल कर विजय वर्धन ने विजयश्री हासिल की। अगर सब कुछ मिल जाए जिंदगी में तो तमन्ना किसकी करोगे, कुछ अधूरी ख्वाहिश ही जिंदगी का मजा देती है। ये वो लाइन्स हैं जिसने विजय वर्धन को 35 से भी ज्यादा परीक्षाओं में मिली असफलताओं के बावजूद झुकने नहीं दिया।

विजय हरियाणा के सिरसा जिले के रहने वाले हैं। सिविल सर्विस की परीक्षा से पहले विजय ने 35 से ज्यादा कॉम्पेटेटिव एग्जाम में फेल हो चुके थे। ये ए और बी लेवल की परीक्षा थी। साल 2019 से पहले विजय चार सिविल सर्विस एग्जाम के चार अटेंप्ट दे चुके थे।

विजय के मुताबिक उनसे करीबियों ने कहा कि वह ये अटेंप्ट न दें। हालांकि, विजय वर्धन ने हार नहीं मानी। इसके बाद पांचवे अटेंप्ट में उन्हें अपनी मंजिल मिल गई। विजय ने साल 2013 में इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन से इंजीनियरिंग की है।

साल 2013 में आए दिल्ली

विजय के मुताबिक वह साल 2013 में पढ़ाई के बाद दिल्ली सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए दिल्ली आए थे। विजय कहते हैं कि साल 2014 में मैंने आईएएस की प्रारंभिक परीक्षा के बाद मेन्स की परीक्षा दी। हालांकि, वह असफल रहे। वहीं, 2015 में फिर मेन्स की परीक्षा में असफल रहे।

साल 2016 में विजय ने मेन्स की परीक्षा क्वालिफाई कर इंटरव्यू तक पहुंच गए। इस साल वह महज छह नंबर से रह गए थे। साल 2017 में वह फिर इंटरव्यू स्टेज में पहुंचने के बाद फिर असफल रह गए। विजय राजस्थान सिविल सर्विस, हरियाणा सिविल सर्विस, यूपी सिविल सर्विस, एसससी सीजीएल में भी फेल चुके हैं।

सोचता था मेरे साथ ही क्यों

विजय ने कहा मैं काफी क्लोज मार्जिन से परीक्षा में रह जाता था। अगर परीक्षा में पास भी हो जाता तो कभी मेडिकल स्टैंडर्ड तो कभी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के कारण रह जाता था। ऐसे में मेरे मन में ख्याल आता था कि मैं ही क्यों?

विजय कहते हैं कि सिलेक्शन के बाद अब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे एहसास होता है कि वह सभी असफलताएं मेरी लिए मील का पत्थर साबित हुई। इन्हीं असफलताओं ने मुझे यहां तक पहुंचाया है।

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