Sex story
Sex story 7 – chudai ki lambi kahani
अब पिक्चर तो ख़तम हो गयी थी….यह ऋषभ भैया तो ऐसी हालात में आया था की चोदना तो दूर खड़े ही नही हो पा रहा था….दारू पी के आया था शायद.
चलो….अब घर कैसे जाऊं……कोमल भाभी की छत हमारे घर की छत से एक मंज़िल निचे थी…..कूद कर यहाँ आ तो सकते थे मगर चढ़ के जाना जरा टेडी खीर था….
मैं अभी भी रोशनदान से अंदर झांक रहा था. पिक्चर ख़त्म थी….
मैं पलटा और
“क….क……कौन है…….भ….भ….भोसड़ी के…….”, वो साया हकलाया
ओ तेरी…मेरी तो गांड फट के गले में आ गयी. वो मादर चोद जो अभी कोमल भाभी की ले रहा था, छुपने के लिए छत पर आ गया था.
और ये भोसड़ी का भी हकला था…….
भेनचोद.
मैंने घबरा कर कहा, ” त….त …..त…..तू…..क……क…..क….कौन है…….”
गांड की फटफटी पार्ट 7 – chudai ki lambi kahani
वो अजनबी बोला, ” भ….भ…..भ……भोसड़ी के……म……म……मज़ाक उडाता है……म.म.म.मेरी नक़ल….करता है…..”
अब मैं क्या बोलू…….
फटफटी चल पड़ी थी.
“..म…म…..मैं..म…म.. मज़ाक नहीं….क…क….कर रहा….”
“त…त….तो क्या…..क……क….कर रहा है…..भ…भ….भोसड़ी के …..च….च….चोर…”, अजनबी हकलाया.
साला चूत चोर ….मुझे चोर बोल रहा था…गुस्सा आ गया.
मैंने कहा, ” च….च…..चोर तो….तुम हो…..पड़ोस का घ….घ….घर मेरा हैं…….आ….आ…..अभी म…म….म…मचाऊ शोर…”
अब तो वो घबराया…” न….न….न…..नहीं……भाई……प…..प….प्लीज़……”
अब अपुन को शांति मिली…..
तभी उसकी नज़र मेरे पाजामे से बाहर लटके बाबूराव पे पड़ी……और उसने रोशनदान पे लगे अखबार को फटा देखा….
साला शातिर था….तुरंत समझ गया.
“भ….भ…..भ…..भोसड़ी के…..ल….ल…..लोगों के….घ…घ….घर में टांक झांक करता है…..”
गांड की फटफटी पार्ट 7 – chudai ki lambi kahani
मैंने तुरंत बाबूराव को अंदर डाला. मेरी गांड फिर फटफटी….
:न…न….नहीं……म…..म….मैं…..नहीं…”
अब वो कमीनेपन से मुस्कुराया….” स….स….साले…..कोमल .को देख कर मुठ मार रहा था…..च….च….चिरकुट”
चिरकुट बोला अपुन को….
मैंने धमकाया, ” ..म…म….म….मैं…..चिल्लाऊँ क्या….च…च…चोर….”
वो घिघियाया ” न….न…..नहीं भाई…..म…..म…..मुझे ऋषभ मार ही डालेगा…..मैं उसका चाचा हूँ….”
“तो….ब….ब…..बैठो चुपचाप……जब सब सो जायेंगे तो च….च….. चले जाना……”
साला बहु चोद
अब मैं घर कैसे जाऊं….
तभी घर के आगे से बाउजी की आवाज़ आयी….”लल्ला……ओ……लल्ल्ला…..कहाँ है….”
बाबूजी को भी एक बीमारी है
गांड की फटफटी पार्ट 7 – chudai ki lambi kahani
एक बात गला फाड़ना शुरू करते है तो बंद ही नहीं होते
“अरे…….ओ………लल्ला………”
“लल्ला…….रे………”
इसकी माँ की चूत उधर कुआँ इधर खाई.
मैंने पलट के चाचा को देखा तो उसकी तो ऐसी गांड फटी हुई थी की कोई हप्प बोल देता तो वो मर जाता.
मैंने दिमाग लगाया…..मेरे घर की छत करीब ७-८ फुट ऊपर थी….मैंने चाचा को बोला..
“आप मुझे धक्का दो….मैं मेरे घर की छत पर पहुँच जाऊंगा”
चाचा सयाना था…उसे कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा, ” और मैं भइये ?”
मैंने तुरंत कहा, ” ऊपर रस्सी पड़ी होगी, मैं आपको खिंच लूंगा…”
चाचा फटाफट तैयार हो गया. मैंने दिवार पर हाथ टिकाया चाचा ने मेरी पीठ पर हाथ से सहारा दिया..
मैंने दिवार के ऊपर अपनी उंगलिया फंसे और ज़ोर लगाया …..पीछे से चाचे ने ज़ोर लगाया और मैं ऊपर उठा.
गांड की फटफटी पार्ट 7 – chudai ki lambi kahani
चाचा ने मेरे पैरों को सहारा दिया और मैं अपने घर की छत पर पहुँच गया. मैंने निचे झाँका….चाचा बेचारा बड़ी उम्मीदों से मेरी तरफ देख रहा था….
मैंने सोचा माँ चुदाने दो चाचा को….
फिर मैंने कहा नहीं यार…..बेचारे की माँ ही चुद जाएगी …इधर उधर देखा तो रस्सी वस्सी तो नहीं थी…
एक चादर दिखी…अपन लोग ने पिक्चर में देखा ही था की कैसे हेरोइन चादर की रस्सी बना के ५-6 मंज़िल निचे उत्तर जाती है…मैंने चादर को थोड़ा सा उमेठा और निचे लटका दी…
चाचा ने तुरंत उसे पकड़ा और लटक गया.
भेनचोद
चादर थी
पुरानी थी
फट गयी ….
और चाचा धड़ाम से कोमल भाभी की छत पर जा गिरा…..कुछ तो गिरने से और कुछ गांड फटने से उसकी रही सही हिम्मत भी जवाब दे गयी और वो तो झड़े लंड जैसा ढीला हो गया.
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