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Yash

मदद करते तो हमें अंदर से अच्छा लगता है। फिर हमारी वजह से किसी का अच्छा होता है। तब भी हमें अच्छी वाली फीलिंग आती है तो इस सबसे धीरे धीरे मेंटली जो हमलेस हमारी होती जाती है, फिर काम है हमारे पैसों पर काम करना है। सारी प्रॉब्लम प्लीज की वजह से ही होती हो तो उनको तनु करना है। सृजनशील और अग्रसर काम करना है। मतलब जो भी क्रिएटिव है वह करना है। हमें योग से हम सामाजिक पारिवारिक लेवल पर बहुत अच्छे से काम करते हैं। क्योंकि जिस जैसे हम प्रैक्टिस करते हैं सारा अष्टांग योग यम नियम वगैरा सब कुछ तो उससे हम समाज में और परिवार में भी अच्छे लेवल पर काम कर सकते हैं। योग का अभ्यास का गुण को मेंटली इल होने से बचाता है। योग की सबसे मेन बात है। अगर जब आती है ना तब हम दूसरों को बदलने की जगह हम खुद को बदलना चालू करते हैं क्योंकि हमारे हाथ में सिर्फ हमारा ही नेचर है या हम ही हैं जो। बाकी कुछ हमारे हाथ में नहीं है। संयोग संयोग हमें वह सिखाता है। खुद को बदलना खुद से खुद की यात्रा और जैसे हम इंद्रियों और मन का विचार करते हैं कि मैं सिर्फ शरीर शरीर नहीं, पर मैं मन में प्राण हो। तब हम अपने आप को ब्रह्म से मर्ज करते हैं। जब हमेशा जब हम मतलब फिजिकली जब हम जुड़े होते हैं शरीर के साथ तब हमें यह सब मतलब मेरा मेरा और यह मतलब स्वार्थ वाली भावना रहती है। ईकोस्ट हम रहे थे लेकिन जब हम थोड़ी कौन से स्कूल कौन से इस तरह की ओर जाते हैं। हम मैं सोचती हूं कि मैं सिर्फ शरीर नहीं हूं, लेकिन नमन भी हूं। मैं प्राण भी हूं तब मैं अपने आपको उसे ब्रह्म के साथ मर्ज कर सकती हूं। मैं खुद को उसका आसमान में लगती है तो यह सारी प्रेक्टिस करने से हमें जो मेंटल है जो हम मतलब किसी मेंटल हमें मानसिक तौर पर जो कुछ पता नहीं है। सारा कुछ कैसे काम करता है तो हम चीजों को अच्छे से देख पाते हैं और अच्छे से समझ पाते हैं तो हमारी रिलेशनशिप भी अच्छी रहती है। इसमें डाइट भी बहुत ज्यादा काम करता है। यह नियम का पालन करना है। इन तीनों का भी बहुत ज्यादा महत्व है। सातवीं का खाना है जिसने अपनी मजबूत रहती है। आने का प्राण पर बहुत ज्यादा असर होता है जो हमें ज्यादा एक्टिवेट करते हैं। नर्वस करते हैं, अग्रेसिव करते हैं। वैसे पदार्थों में नहीं खाने चाहिए क्योंकि ऐसे पदार्थ खाने से और भी उसने हमें गुस्सा आएगा। रामतेज आएंगे तो तुम बढ़ेगा तो सामान कुछ अच्छे से देख नहीं पाएंगे। यार ईटी नहीं रहेगी तो हमारा बीजेपी ऑफिस में रहता ही होगा तो हमारे खाने में जो पोषक तत्व है, उससे ब्रेन के सारे स्ट्रक्चर ऑफ फंक्शन प्रभावित होते हैं तो हमें हमारा फूड वाइसली यूज करना चाहिए। जो हमारे व्यवहार पर भी असर करता है अभी यह शायद इंपॉर्टेंट है। चंदन चांदोग्य उपनिषद में याद लेवल पर और श्वेतकेतु यह दोनों की कहानी है। ठीक है तो इस ऐसा पूछ सकते हैं कि अन्य के बारे में है। वह गुरु है और श्वेतकेतु उनका शिष्य है तो नमन है। ऐसा ऐसा बोला था तूने और प्रश्न पूछा था कि कैसे उन्होंने बोला था तुम? उसने जो भी सारा कुछ पढ़ा होता है तो वह बोलता है। अन्ना मन कैसे हो सकता है। ऐसे तो उन्होंने बोला कि तुम कुछ दिनों के लिए खाना पीना बंद कर दो तो वह पहले जैसे सोच सकता था। सारे स्लोकास बोल सकता था। बिना मतलब इतना रटा हुआ था जितनी स्पीड में ऐसे तो उसने जैसे ही खाना पीना बंद कर दिया तो उसकी मेमोरी लॉस होने लगी और वह भूल गया था तो पता चला कि नंद मन है तो इतना डीप में नहीं आएगा। लेकिन कौन से उपनिषद में है या क्या है ऐसा कुछ आ सकता है। ट्रेन के बायो केमिकल चेंजेज पन्ना से प्रभावित होता है। इसलिए अन्ना को भी योग में यम नियम जितना ही महत्व दिया है, उनके सुख से सुख मां-बाप से मन बनता है। इसलिए जितना अनुसूची का मानसून और इसमें भगवत गीता का श्लोक भी है चैप्टर 7 को प्राथमिकता शौक है ना बलम वाला। वो वाला और! तू मधुर स्निग्ध आरजू शरीर को पोषण दें वही करना चाहिए। यहां पर एक नंबर का टॉपिक खत्म हुआ। इसमें किसी को प्रॉब्लम।

नो नो! छोरियों का प्रतीक है। वही का वही रिपीट होने वाला है तो इसमें फिजियोलॉजिकल न्यूरोएंडोक्राइन मानसिक से होने वाली शारीरिक क्रिया यानी साइकोफिजियोलॉजी मानसिक से होने वाली शारीरिक क्रिया यानी साइकोफिजियोलॉजी आयुर्वेद फेस बीमारी के 403 लक्षण है। ध्यान से सुनना आयुर्वेद में कहा है। बीमारी के तीन कारण है तो इलेक्शन में कारण और साथ में इंद्रिय संयम रखना पड़ा। हड़ताल पर यात्रियों, संयोग, प्रज्ञा अपराध और साल परिणाम दूसरा है। स्ट्रीट साइकोफिजियोलॉजिकल जाने के लिए कविता।

केंद्रीय सहयोग और ओके ओके दूसरा है साइकोफिजियोलॉजिकल यानी के अध्यात्मा मानसिक शारीरिक क्रिया इसको ट्रायंगल करके समझना ए ट्रायंगल के एक कॉर्नर पर कौन सी असनेस लगा लिखना है यानी कि स्पिरिचुअल हुआ वह दूसरे कॉर्नर पर माइंड लिखना है। यानी कि वह साइको हुआ तीसरे कॉर्नर पर बॉडी लिखना है। यानी कि वह फिजियोलॉजिकल हुआ तो हमें इन तीनों पर काम करके योग के थ्रू इन तीनों को ठीक कसारी योग योग के 50 पैक पर काम करके इन तीनों को बैलेंस करना है। ठीक करना कैसे तो जहां पर्यावरण और इंसान मिल कर रहे उसको विकास बोलते हैं तो इसको कैसे समझना है। अब अब का इंसान कैसा हो गया है कि अब गुस्से? खुद के बारे में सोचता है पर यह कुत्ता डेवलपमेंट करने के लिए अपनी लग्जरी के लिए वह सारे जंगलों का नाश कर रहा है। अपना फर्नीचर बना रहे इंडस्ट्रीज बना रहा है। इतना सारा मतलब हर एक घर में हर एक व्यक्ति के लिए अलग-अलग बीकानेर मतलब पेट्रोल कहां से आता है? क्या प्रकृति यह हमारी सारी लग्जरी पूरी करने के लिए प्रकृति का कितना नाश हो रहा है। वह आज का इंसान नहीं सोच रहा है। इसलिए हमें प्रकृति ने डेमो भी दे दिया। अभी अभी 2 साल से हमें पर्यावरण के साथ संतुलन भी हमें शारदे के लिए देगी, लेकिन आम रस और उसके विपरीत जाएंगे तो हम हमारे प्रिय साइको और जूलॉजिकल बैलेंस को भी खोल दो माइंडफूलनेस से देना है। पशु की तरह नहीं जीना है। चेतना को जेल में पहले भी हमें माइंड और बड़ी चेतना की।

योगा मोक्ष तक पहुंचाता है। धीरे-धीरे मन के बंधन शरीर के बंधन मेरी इच्छा है। थाने के प्रति इच्छाएं कुछ मेरे आकर्षण है तो यह सारा जो है, वह योग से धीरे-धीरे कम होता है। हम से सुकमा सुकमा से कारण की ओर आगे बढ़ते हैं। किसी को दे किसी को हम देखे तो बार-बार देखना चाहिए क्योंकि किसी भी इंसान को हम एक बार में नहीं समझ सकते। किसी को भी हम हमें मतलब हम इंसान कैसे होते। किसी को भी बहुत करते हमारी शुक्रिया कम होता है। एक बार में समझ नहीं सकते तो उसको बार-बार देखना है। बार-बार समझना है। एक बार में कोई भी इंसान समझ में नहीं आएगा क्योंकि हम हमारे पर्सपेक्टिव से सामने वाले को देखते हैं। ठीक है जैसे के आरती मैम ने बोला था कि जैसे चश्मा पहन के पैसे कलर की ही दुनिया देखेगी। पीला पिलाओगे तो पी ले कर के लिए ही तो मैंने ऐसा बोला था कि पहले बार बार उसको सामने वाले को समझने की कोशिश करें। उसकी जगह पर खुद को रख कर देखना है तो उससे भी रिलेशन ठीक होते हैं। फिर विपस्सना मैडिटेशन ट्रांसलेशन के प्राण मन का कंट्रोल करके सुबह को देखना है। योगा थेरेपी पॉर्न स्टोरी आफ साइको सोमेटिक सेल का शॉर्ट फॉर्म में क्यों ओ एल?

भूत का फुल फॉर्म क्या है? सिंपल क्वॉलिटी ऑफ लाइफ तो हमारी लाइफ है तो कॉलेज लाइफ में अभी हमारा सारा कुछ उंगली पर है। मतलब एक उंगली पर मोबाइल में मत बस टच किया और सारा कुछ सामने फिर भी हम हम सबके मन में शांति नहीं है। क्या तनाव की वजह से बोली, मैं जो भी डैमेज हुआ है ना वह कोई भी मॉडर्न ट्रीटमेंट ठीक नहीं कर पाएगी। लाइकेन जियोग्राफी आरती चाहिए। सारी जो है वह तनाव की वजह से जो भी डैमेज हुआ है ना वह आज की टेक्नोलॉजी कोई भी टेक्नोलॉजी ठीक नहीं ठीक होगी। क्योंकि योगा मल्टीडाइमेंशनल है इंडियन स्पेस ऑफ साइकोलॉजिकल टॉक्सिकोलॉजी। अब इसमें पतंजलि क्या कहते पहले उनका देखते हैं तो पतंजलि विचारों की गति को रोकने की प्रक्रिया को बताया है तो उनका फंडामेंटल क्या है। क्या आपके मन में निकला करने के कितने? मन पर कंट्रोल करने का उन्होंने सूत्र दिया योगा चित्र वृत्ति निरोधा नेगेटिव थॉट्स को रिमूव करके विश्व का राज ज्योतिषमति जाने के अपने अंदर के प्रकाश को के प्रकाश को देखना है। मन और आत्मा, परिपक्व, मन और आत्मा को परिपक्व करने के लिए राजयोग और जो यह साइड में पूछ सकते हैं कि राजू कौन कर सकता है और राजू किसके लिए है और भक्ति और कर्मयोग किसके लिए तो जिसके मन और आत्मा परिपक्व है। ठीक है मन और आत्मा से मतलब एकदम वह हो गया है। समर्थन में आ गया है तो उसके लिए राजी हो गए और बाकी लोगों के लिए भक्ति और कर्मयोग याद रखना। फिर जीत के भोमिया, मोड़, क्षिप्त विक्षिप्त एकाग्र और निरूद्ध तो मूर्ख शिफ्ट विक्षिप्त यार तक वाले जो होते हैं ना वह रजत वाले होते हैं और एक और विरोध और ऐसा वाले होते तो समझते रजत रजत से सतना की ओर जाना हमें जाना है। तभी हम योग का फायदा मतलब हमें मिल सकेगा। नहीं तो नहीं मिलेगा। हमें स्टेप बाय स्टेप जाना है। मतलब जैसे कि डायरेक्ट ही राजयोग करने लगे तो फिर प्रॉब्लम मतलब जैसे कुंडलिनी शक्ति को हमें स्टेप बाय स्टेप उद्भव में करना है। डायरेक्ट राजीव करेंगे तो वह सर ने जैसे बताया था कि पानी की पाइप का उदाहरण देकर के हमको हम दबा के रखी और को चालू कर देंगे तो वह कहीं और से पाइप टूट भी सकती है। पानी निकलने के लिए तो ऐसे हमें स्टेप बाय स्टेप तो मुझसे रजत रजत से तत्व की ओर जाना है तो। सबसे पहले मन को कंट्रोल करना पड़ेगा इसलिए सबसे पहले मूड चोली थार जीप जो हमारी अवस्था है जो मूर्ख शिफ्ट और विक्षिप्त वाले लोग जो तमस और रजत में होते हैं, रजत से गिरे हुए होते हैं। वह लोग योग नहीं कर सकते और जो एक आदर और विरुद्ध है, वह योग करेंगे। ठीक है भगवत गीता भगवत गीता के हिसाब से मैंने बोला है मन एवं मनुष्य नाम बंद, मोक्ष योग ओपन ही मनुष्य का बंधन और मोक्ष का नालियों, कर्मयोग और भक्ति भगवत गीता में यह तीनों बोला है। हमें यह तीन बोला है और पतंजलि ने राज्यों से पूछ सकते हैं। कृपया राज्य किसने बोला है और यह तीन किसने बोला है तो भगवत गीता में नाम, कर्म भक्ति और पतंजलि ने राज्य। योग करके ज्ञानियों करके और पत्तियों करके इन तीनों के द्वारा हमें दुख दूर करना है। योगाह कर्मसु कौशलम तो निष्काम कर्म ही हमें निष्काम कर्म योग है। फल की आसक्ति के बिना हमें कर्म करना है और। मैंने मैंने यहां पर लिखा है साइड में एक दम तो यह क्वेश्चन एमसीक्यू आएगा। योग क्या है तो निष्काम कर्म फिर?

आज जिसमें जिस व्यक्ति में राग द्वेष काम के संस्कार नहीं होते, वही समर्थन में है यानी कि उसका ही योग समत्वम योग है। ऐसा कहां जाएगा। सुख दुख में समर्थ वसंतम स्थिति में हमें रहना है। सब कुछ क्षणभंगुर है। उस को समझते हुए तब परिस्थिति में सम रहना है। धर्म अर्थ काम मोक्ष यह सारा कुछ मैंने शॉर्ट में लिखा है तो यह सारा कुछ हमें समझना है। धर्म, अर्थ और काम और मोक्ष क्या उसको डिटेल में समझाने की जरूरत नहीं है ना?

नहीं चलेगा। घर पतंजलि पतंजलि ने बोला है कि भगवत गीता में हर तबके के लोगों के लिए भक्ति कर्मयोग का रास्ता है। तत्व गुण को समझ 1 गुना 30 होना है। मन को एकाग्र बनाना है जिसको हम निर्माण जिसको हम जिससे हम निर्माण कब तक है ना।

जुड़वा 2। जोरदार। हमारी दृष्टि भी आंटी चलो इंटीग्रेशन साइकोसोशल इंप्लीकेशन ऑफ योगा।

तो इसमें यह यह जो टॉपिक है ना यह कोई भी बुक है, शास्त्रों में नहीं, लेकिन यह शास्त्र सभी शास्त्रों की समरी है। समझ में आया इधर भूख नहीं है। कोई पटी किलर शास्त्र नहीं है, लेकिन सभी शास्त्रों का सार लेकर यह मैंने समझाया था तो सारा कुछ मिक्स है तो इसमें डॉक्टर आनंद बाल योगी की जो भी अच्छे से पढ़ ली है। उसमें से ऑब्जेक्टिव एग्जाम में आए थे तो मैंने साइड में आएंगे। ऐसा मैं साइड में लिखा है तो वह जो पी ली है, वह देख लेना और मैं समझा भी देती हूं। इंटरपर्सनल रिलेशनशिप जब तक हम खुद को नहीं जानेंगे, हमारे प्ले स्टोर को नहीं जानेंगे। हम क्या है, यह नहीं जानेंगे। निष्काम स्कूल नहीं जाने के तब तक हम दूसरों को जान ही नहीं पाएंगे। जब तक हम खुद से प्यार नहीं करेंगे। तब तक हम दूसरों को भी ध्यान नहीं कर पाएंगे। इसके लिए हमें क्या करना है, निष्काम कर्म करना है।

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