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सीएसआईआर द्वारा आरंभ इस परियोजना के तहत लगभग 1,000 ग्रामीण युवाओं का जीनोम सैम्पल एकत्र करके स्वदेशी जेनेटिक मैपिंग द्वारा इनके जीनोम का अनुक्रमण किया जाएगा.

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा एक परियोजना के अंतर्गत भारत के युवा छात्रों के जीनोम का अनुक्रमण किये जाने की योजना तैयार की गई है. इस परियोजना का उद्देश्य जीनोमिक्स की उपयोगिता के बारे में छात्रों की अगली पीढ़ी को शिक्षित करना है. 

दरअसल सरकारी नेतृत्व में जीनोम अनुक्रमण में चलाई जा रही परियोजना के अंतर्गत लगभग 10,000 भारतीय लोगों के जीनोम को अनुक्रमित किया जाना तय किया गया है, यह परियोजना इसी क्रम का हिस्सा होगी.

योजना के प्रमुख बिंदु

•   सीएसआईआर द्वारा आरंभ इस परियोजना के तहत लगभग 1,000 ग्रामीण युवाओं का जीनोम सैम्पल एकत्र करके स्वदेशी जेनेटिक मैपिंग द्वारा इनके जीनोम का अनुक्रमण किया जाएगा.

•   वैश्विक स्तर पर कई देशों ने रोगों की पहचान एवं उपचार के लिये अद्वितीय आनुवंशिक लक्षणों तथा संवेदनशीलता आदि का निर्धारण करने हेतु अपने देश के नागरिकों के सैम्पल का जीनोम अनुक्रमण किया है.

•   भारत में पहली बार इतने बड़े स्तर पर विस्तृत अध्ययन के लिये जीनोम सैम्पल एकत्र किया जा रहा है.

•   आमतौर पर जीनोम-सैम्पल का संग्रह देश की जनसंख्या विविधता के प्रतिनिधियों का किया जाता था लेकिन इस बार ऐसे लोगों का सैम्पल लिया जा रहा है जो कॉलेज के छात्र (पुरुष और महिला दोनों) तथा जैविक विज्ञान या जीव विज्ञान के छात्र हैं.

प्रक्रिया

सीएसआईआर द्वारा किये जा रहे जीनोम अनुक्रमण को रक्त के नमूने के आधार पर तैयार किया जाएगा. इसके लिए विभिन्न राज्यों में विभिन्न शिविर आयोजित किये जाएँगे. जिन लोगों से जीनोम अनुक्रमण शिविर में भाग लिया जाता है उन्हें एक रिपोर्ट दी जाएगी. इसके अतिरिक्त उन्हें उनके जीन की संवेदनशीलता की जानकारी भी प्रदान की जाएगी.

जीनोम क्या है?

आणविक जीव विज्ञान के अनुसार जीन वह आनुवंशिक पदार्थ है, जिसके माध्यम से जीवों के गुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचते हैं. किसी भी जीव के डीएनए में विद्यमान समस्त जीनों का अनुक्रम जीनोम (Genome) कहलाता है. मानव जीनोम में अनुमानतः 80,000-1,00,000 तक जीन होते हैं. जीनोम के अध्ययन को जीनोमिक्स कहा जाता है.

जीनोम परियोजना वह वैज्ञानिक परियोजना है, जिसका लक्ष्य किसी प्राणी के संपूर्ण जीनोम अनुक्रम का पता करना है. अमेरिका के ऊर्जा विभाग (यूएसडीई) तथा नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) की भागीदारी से, वर्ष 1988 में मानव जीनोम परियोजना प्रारंभ हुई. इसका औपचारिक शुभारंभ 1990 में हुआ था. बाद में इसने विश्वव्यापी रूप धारण कर लिया. मौजूदा समय में अठ्ठारह देशों की लगभग 250 प्रयोगशालाएं इसमें सम्मिलित हैं.


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