COVID-19

COVID-19

Edu hub

#COVID-19: #हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन_की_खोज_किसने_की_थी?⬅️*


#कोलकाता स्थित बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, पूर्वी भारत की एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई है जो भारत में मलेरिया-रोधी दवाओं का निर्माण करती है. 


*👉🏻हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन क्या है?*


हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन दोनों संबंधित दवा हैं जिनका उपयोग मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता है. क्लोरोक्वीन का आविष्कार 1934 में किया गया था, और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का आविष्कार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कम दुष्प्रभावों के साथ एक विकल्प प्रदान करने के लिए किया गया था. हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को कभी-कभी इसके ब्रांड नाम, प्लाक्वेनिल (Plaquenil) द्वारा संदर्भित किया जाता है. दोनों दवाओं का उपयोग ल्यूपस के लक्षणों का इलाज करने के लिए किया गया है जो कि एक ऑटोइम्यून बीमारी है. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन rheumatoid arthritis के इलाज के लिए भी निर्धारित की जाती है.


*👉🏻आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय (P.C Ray) के बारे में*


"फादर ऑफ इंडियन केमिस्ट्री" के नाम से मशहूर, प्रफुल्ल चंद्र राय एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और शिक्षक थे और पहले "आधुनिक" भारतीय रासायनिक शोधकर्ताओं में से एक थे. उन्होंने 1896 में स्थिर यौगिक मर्क्यूरियस नाइट्राइट (stable compound mercurous nitrite) की खोज की और 1901 में भारत की पहली दवा कंपनी बंगाल केमिकल एंड फ़ार्मास्यूटिकल वर्क्स लिमिटेड की स्थापना की. साथ ही वह एक बहुत ही भावुक और समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होंने जाति व्यवस्था का समर्थन नहीं किया.


प्रफुल्ल चंद्र राय का जन्म 2 अगस्त 1861 को रारुली-कटिपारा (Raruli-Katipara) गाँव में हुआ यह जोकि अब बांग्लादेश में है. उनके पिता, हरीश चंद्र राय एक जमींदार थे, जिन्हें सीखना बहुत पसंद था और उन्होंने अपने घर में एक व्यापक पुस्तकालय का निर्माण किया था. प्रफुल्ल चंद्र राय की माँ, भुबनमोहिनी (Bhubanmohini) देवी उदार विचारों वाली थी.


*👉🏻योगदान और उपलब्धियां*


1887 में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से DSc की डिग्री प्राप्त करने के बाद, प्रफुल्ल चंद्र राय ने प्रेसीडेंसी कॉलेज में रसायन विज्ञान पढ़ाना शुरू किया. 1892 तक, लगभग 700 रुपये की पूंजी के साथ, उन्होंने बंगाल केमिकल वर्क्स की शुरुआत की, और कोलकाता में आयोजित इंडियन मेडिकल कांग्रेस के 1893 सत्र में अपने हर्बल उत्पादों को प्रस्तुत किया.


1901 में यह लिमिटेड कंपनी बनी, बंगाल केमिकल एंड फ़ार्मास्यूटिकल वर्क्स लिमिटेड (BCPW) और भारत की पहली दवा कंपनी बन गई. धीरे-धीरे, कंपनी का विस्तार हुआ और एक अग्रणी रसायन और दवा निर्माता बन गयी.उन्होंने कभी भी कंपनी से कोई वेतन नहीं लिया.


प्रफुल्ल चंद्र राय की प्राचीन ग्रंथों में रुचि थी और 1902 और 1908 में दो खंडों में उनकी रिसर्च "द हिस्ट्री ऑफ हिंदू केमिस्ट्री" प्रकाशित हुई. इस कार्य से प्राचीन भारत में धातु विज्ञान और चिकित्सा के व्यापक ज्ञान का विस्तार हुआ.


1916 में प्रफुल्ल चंद्र राय प्रेसिडेंट कॉलेज से सेवानिवृत्त हुए और कलकत्ता विश्वविद्यालय में शामिल हो गए जहाँ उन्होंने 20 से अधिक वर्षों तक काम किया.


उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों और सम्मेलनों में कई भारतीय विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व किया. उन्हें 1920 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुना गया था.


उनकी आत्मकथा "लाइफ एंड एक्सपीरियंस ऑफ ए बंगाली केमिस्ट" (“Life and Experiences of a Bengali Chemist”), 1932 और 1935 में दो संस्करणों में प्रकाशित हुई, एक वैज्ञानिक के रूप में उनकी खुद की प्रेरणाओं और भारत में उनके जीवन के दौरान व्यापक बदलाव का अनुभव था.


रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (Royal Society of Chemistry) ने अपनी प्रतिष्ठित केमिकल लैंडमार्क प्लेक (Chemical Landmark plaque) प्रफुल्ल चंद्र राय को समर्पित की, जो पहले गैर-यूरोपीय है, जिसे 2011 में उनकी 150वीं जयंती पर सम्मानित किया गया था.


प्रफुल्ल चंद्र राय जनसाधारण को उठाने के लिए विज्ञान के चमत्कारों का उपयोग करना चाहते थे. वह बहुत भावुक और समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता थे और उन्होंने 1920 के दशक की शुरुआत में बंगाल में अकाल और बाढ़ से लोगों की मदद करने में उत्सुकता और सक्रियता से भाग लिया था. उन्होंने खादी सामग्री को बढ़ावा दिया और कई अन्य उद्योग भी स्थापित किए, जैसे कि बंगाल इनामेल वर्क्स (Bengal Enamel Works), नेशनल टेनरी वर्क्स (National Tannery Works ) और कलकत्ता पॉटरी वर्क्स (Calcutta Pottery Works).


जब तक उनका निधन नहीं हो गया, तब तक उन्होंने सामाजिक सुधार के इस कार्य को जारी रखा. प्रफुल्ल चंद्र राय 1936 में 75 वर्ष की आयु में प्रोफेसर एमेरिटस के पद से रिटायर हुए. 16 जून 1944 को 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.


*👉🏻बंगाल केमिकल एंड फार्मास्यूटिकल वर्क्स लिमिटेड के बारे में*


बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (BCPL) एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) है जो देश में मलेरिया-रोधी दवा का उत्पादन करता है


*नोट:* सरकार के स्वामित्व वाले निगमों को भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) कहा जाता है. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) सरकारी कंपनियों का ऑडिट करते हैं.


बंगाल केमिकल्स एंड फ़ार्मास्यूटिकल वर्क्स लिमिटेड, बंगाल केमिकल्स एंड फ़ार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के अग्रदूत, आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय द्वारा 1901 में स्थापना की गई थी. कंपनी स्वदेशी तकनीक, कौशल और कच्चे माल को रोजगार देने वाले गुणवत्ता वाले रसायन, ड्रग्स, फार्मास्यूटिकल्स और होम उत्पाद बनाने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई.


बंगाल केमिकल का प्रबंधन भारत सरकार द्वारा लिया गया था और केंद्र सरकार ने 15 दिसंबर, 1980 को संगठन का राष्ट्रीयकरण किया था. 27 मार्च, 1981 को एक नई सरकारी कंपनी, बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (BCPL) का शुभारंभ किया गया था।


*👉🏻अब सवाल उठता है की क्या प्रफुल्ल चंद्र राय ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की खोज की?*


इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय भारत में रसायन विज्ञान के महान निर्माताओं में से एक हैं और उन्होंने बंगाल रसायन की स्थापना की.


दवा क्लोरोक्वीन का आविष्कार 1934 में किया गया था, और इसका उपयोग दशकों से दुनिया भर में मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता है. कम दुष्प्रभावों के साथ एक विकल्प प्रदान करने के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का अविष्कार किया गया था.


नरेंद्र नायक, अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ इंडियन रेशनलिस्ट एसोसिएशन के अनुसार हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, क्लोरोक्वीन का एक कम विषाक्त व्युत्पन्न (derivative) है जिसकी खोज 1945 में हुई थी. क्लोरोक्वीन के विषाक्त प्रभाव को कम करने के प्रयासों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की खोज हुई थी. यह 1955 में अमेरिका में उपयोग के लिए अनुमोदित की गई और गठिया, SLE इत्यादि सहित विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार के लिए भी इस्तेमाल होने लगी. मुख्य तौर पर ये मलेरिया के लिए रोगनिरोधी के रूप में उपयोग की जाती थी. हालाँकि हम सभी जानते हैं कि COVID-19 के उप1ll3V222b1. ।।

चार में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन प्रभावशील हो सकती है के कारण अब ये सुर्खियों में आ गई है. प्रफुल्ल चंद्र राय की कंपनी की स्थापना का श्रेय हाइरोक्सीक्लोरोक्वीन के सबसे बड़े निर्माता को दिया जाता है, यह सच्चाई से बहुत परे है.


दूसरी तरफ इस बात को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है कि ऐसा कही कोई ज़िक्र नहीं किया गया है कि हाइरोक्सीक्लोरोक्वीन की खोज प्रफुल्ल चंद्र राय ने की थी. हलाकि 1901 में भारत की पहली दवा कंपनी बंगाल केमिकल एंड फ़ार्मास्यूटिकल वर्क्स लिमिटेड की स्थापना प्रफुल्ल चंद्र राय ने जरुर की थी.


साथ ही हाइरोक्सीक्लोरोक्वीन दवा COVID-19 के इलाज में कितनी कारगार है इसके लिए भी रिसर्च और टेस्ट्स चल रहे हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि उसने Covid-19 रोगियों के लिए HCQ दवा की सिफारिश नहीं की है, जब तक कि परीक्षण के दौरान संतोषजनक परिणाम नहीं दिखते हैं.


आर गंगा केतकर (R Ganga Ketkar), वैज्ञानिक, ICMR ने कहा “यह समझना महत्वपूर्ण है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा अनिवार्य नहीं है. क्या यह संक्रमण को कम करेगा, परीक्षणों के बाद ही पता चलेगा. चिकित्सक अभी भी रोगसूचक रोगियों पर इसका परीक्षण कर रहे हैं. जब तक हमें संतोषजनक परिणाम नहीं मिल जाते, तब तक हम किसी को भी इसकी सलाह नहीं देते हैं”. भारत HCQ का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है.


तो अब आप प्रफुल्ल चंद्र राय और हाइरोक्सीक्लोरोक्वीन के बारे में जान गए होंगे.

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

Report Page