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彡卄ΛcͥkeͣrͫђerØ彡[¢∆]

प्रेम का तन से कैसा नाता !

प्रेम की है ये कैसी भाषा !!

प्रेम बिछोह है, प्रेम मिलन है !

प्रेम अगन है, प्रेम लगन है !!

प्रेम सुरों की इक धड़कन है !

प्रेम सुरों की इक सरगम है !!

प्रेम है पीड़ा, प्रेम जख्म है !

प्रेम के ही ये सारे रंग है !!

कहाँ गए वो रंगने वाले !

प्रेम की खातिर मरने वाले !!

प्रेम नहीं अब तन के शिकारी !

इनकी तृष्णा बस है नारी !!

प्रेम से बस अब छलना आता !

प्रेम की बदली है परिभाषा !!

प्रेम का तन से कैसा नाता !

प्रेम की है ये कैसी भाषा !!

लिखे लेखनि दे परिभाषा !

प्रेम है मीरा, प्रेम है राधा !!

प्रेम में डूबे बंसी वाले !

प्रेम है गोपी, प्रेम है ग्वाले !!

प्रेम के फन पे धरा बिराजै !

कालिया फन पे कान्हा नाचे !!

माखन चोरी करके खाना !

नदी किनारे वस्त्र चुराना !!

प्रेम का ही था वो नजराना !

प्रेम लुटाने आया कान्हा !!

कान्हा का रूप अनोखा !

प्रेम देवकी, प्रेम यशोदा !!

अश्रु नीर से चरण थे धोए !

पाँव पकड़ कर कान्हा रोए !!

दरिद्रता देखो प्रेम से हारी !

कृष्ण सुदामा की वो यारी !!

खाकर प्रेम के तीन है दाने !

तीनों लोक लगे लुटाने !!

प्रेम की खींची ऐसी रेखा !

प्रेम नहीं वो अबतक देखा !!

तन नहीं मन से था नाता !

प्रेम की थी वो ऐसी भाषा !!

प्रेम का तन से कैसा नाता !

प्रेम की है ये कैसी भाषा !!

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